विद्या ज्ञान के देवता श्री गणपति (गणेशजी ) का उत्सव पुरे देशभर में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह उत्सव प्रति वर्ष भाद्रपक्ष महिने के चतुर्थी के दिन गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है। इस दिन हम सभी श्रद्धावान गणेशजी की मूर्ति अपने घर लेकर आते हैं और पुरी श्रद्धा के साथ हम सभी गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते हैं और पूजा-पाठ, आरती ,भजन बहुत ही प्यार से करते हैं और गणपति बाप्पा को प्रसाद का भोग चढ़ाते हैं। नियमानुसार पूजा के उपरांत इस मूर्ति का पुनर्मिलाप करना पड़ता है तदुपरांत सभी श्रद्धावान गणपतिबाप्पा से दिल से यह कामना करते हैं कि अगले वर्ष बाप्पा फिर से आना। इसी भाव के साथ गणेशजी की मूर्ति का पुनर्मिलाप करते हैं। पर इसके बाद इस मूर्ति का क्या होता है। क्या सच में गणेशजी की मूर्ति पानी में घुलमिल जाती है?
इस विषय में क्या कोई भी विचार करता है? तब इसका जवाब "नहीं" में ही आयेगा !
फिर ऐसी परिस्थिति में शाश्वत एवं पर्यावरण के लिए सहायक सिद्ध हो सके ऐसा विकल्प क्या है? तत्काल ही यह प्रश्न उठ खड़ा होता है?
इस प्रश्न का एक ही जवाब है 'इको फ्रेंडली गणेश मूर्ति!
0 comments:
Post a Comment